करेला और नीम
करेला और नीम
करेला भी कड़वा नीम भी कड़वा
यही सत्य है दोनों की काया !
करेला और नीम दोनो ही कड़वे
मगर जीवन के लिए सत्व है !
करेला है भाजी तो नीम की हैं पत्ती
दोनो की अपनी– अपनी माया है !
कभी चटनी बनाओ कभी पीस डालो !
कभी सब्जी बनाओ कभी नुस्ता चबा जाओ;
जुबान को कड़वा करता है पर दिल को अच्छा रखता है !
है दोनो में बहुत गुण फिर भी है दोनों कड़वे बूम !
अब दोनो का क्या कहना डाईबिटिस का हैं गहना !
शुगर को करे कंट्रोल यही हैं उसका जीवन में मोल !
खाते जाओ करेला और नीम जीवन बनाओ अपना खुशहाल !
चलो करते खत्म कविता यहां वरना लिखते–लिखते हो जायेगा हमारा बेहाल !
करेला और नीम खाकर कर लो आप भी जीवन महान !
यहीं है दोनों का सम्मान हमारी कविता में दोनो का गुणगान !
धन्यवाद कहते हम जीवन में हस्ते मुस्कराते रहो
और करेला नीम कडू सही खाकर करलो अपनी मीठी जुबान !
अंत करते हम यही कविता में करेला नीम का ज्ञान !
