बीवी
बीवी
कभी जुवाँ कभी हसीन दिखती है बीवी दुसरों की सभी को रंगीन दिखती है
मीठी लगती है हरेक उसकी बात, डाँट लगाये चाहे निकाले गाल,
लाली गालों पे उसके रंगीन दिखती है बीवी दुसरों की हमेशा शौकीन दिखती है।
चाहे झाँके खिड़की से, चाहे घूमे छत पर,
नजर बाजी की बहुत शौकीन दिखती है दुसरों की बीवी हमेशा शौकीन लगतीं है।
मस्तानी लगती है उसकी चाल, चेहरा खिलता है जैसे गुलाब,
धूप में सुखाती है जब वो लम्बे बाल, मानों मोतीयों की माला हिलती है बीवी दुसरों की हमेशा रंगीन दिखती है।
कभी लाल शूट में कभी हरी साड़ी में चुनरिया उसकी हर पल रंगीन दिखती है बीवी दुसरों की हमेशा रंगीन दिखती है।
कभी मुस्कराती है कभी खिलखिलाती है, कभी मानती है कभी रूठ जाती है, नखरों मे भी हसीन दिखती है बीवी दुसरों की हमेशा रंगीन दिखती है।
सुदर्शन यह सब है आँखों का खेल सही तो होता है पति पत्नी का मेल,
दुसरों की तकलीफ हमेशा हसीन लगती है, तभी दुसरो की बीवी भी रंगीन लगती है।
