रईसी बनाम मुफलिसी
रईसी बनाम मुफलिसी
रईसी के आलम में अक्सर
कुछ लोग
ज़मीनी जद्दोजहद से जूंझते
आम लोगों का
मज़ाक उड़ाया करते हैं...!
उन्हें न जाने किस बात का
गुरुर है
कि वो मुफलिसी में
दिन-रात एक करनेवाले
आम लोगों को कीड़े-मकोड़े
समझने की भूल कर बैठते हैं...।
कुछ तो बेशुमार दौलत-ओ-शोहरत का नशा,
कुछ तो ऐशो आराम की ज़िन्दगी
जीने का नशा...!
कुछ नशा अंधानुकरण का,
कुछ अहंकार का...
इस मिलावटी दुनिया में हक़ीक़त में
आम जनता की दर्द-ओ-ग़म तो
शेयर बाज़ार की दरों में
अनिश्चितता भरे उतार-चढ़ाव का
मोहताज़ बनके रह गई है...!!!
यहाँ तो बड़े लोगों का ही बोलबाला है,
क्योंकि उनकी बड़ी-बड़ी महफिलों में
हर ईमानदार मुफलिस का
भद्दा मजाक उड़ाया जाता आ रहा है...
और आगे भी वैसा होगा...!!!
