STORYMIRROR

Arun Pradeep

Abstract

4  

Arun Pradeep

Abstract

कवि

कवि

1 min
367

एक ऐसा साधक

पा गया जो 

आत्मज्ञान का 

चतुर्थ आयाम

तृतीय नेत्र से जो

कर सके दृष्टिगत

कुछ अनछुए परिणाम

और रचे कविता -

कर शब्दों का भावपूर्ण संयोजन

शब्दकोष में मृतप्रायः पड़ी

शब्द रूपी तितलियों को 

जो दे जाए जीवन 

सजाकर जब लाये 

करा धारण व्याकरण

और अलंकार 

झंकृत कर दे पाठक के

मन मस्तिष्क का हर तार 

जन मन का कर चित्रण

रचे पूर्ण साहित्य

कर शाही चाटुकारिता 

न जो चाहे आतिथ्य !

         


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract