कवि
कवि
एक ऐसा साधक
पा गया जो
आत्मज्ञान का
चतुर्थ आयाम
तृतीय नेत्र से जो
कर सके दृष्टिगत
कुछ अनछुए परिणाम
और रचे कविता -
कर शब्दों का भावपूर्ण संयोजन
शब्दकोष में मृतप्रायः पड़ी
शब्द रूपी तितलियों को
जो दे जाए जीवन
सजाकर जब लाये
करा धारण व्याकरण
और अलंकार
झंकृत कर दे पाठक के
मन मस्तिष्क का हर तार
जन मन का कर चित्रण
रचे पूर्ण साहित्य
कर शाही चाटुकारिता
न जो चाहे आतिथ्य !