Arun Pradeep
Abstract
सार्वभौमिक
तेरी मेरी सबकी
माँ है प्रकृति।
हाइकु
कवि
होली नवगीत
होली विषाद
होली है...
होली की ठिठोल...
अनोखी होली
संक्रांति
सपना
बारिश की रुत में, पृथ्वी के सौंदर्य में लग जाते चार - चाँद। बारिश की रुत में, पृथ्वी के सौंदर्य में लग जाते चार - चाँद।
आये कई बार किनारों पर, फिर दूर होते गए, बसेरों से। आये कई बार किनारों पर, फिर दूर होते गए, बसेरों से।
वह तो सबसे आगे दिखे जो पर्यावरण को रोते हैं, वह तो सबसे आगे दिखे जो पर्यावरण को रोते हैं,
सुने उनके गीत बहाएँ उनके गीतों की गंगा सजायें महफिलें सुने उनके गीत बहाएँ उनके गीतों की गंगा सजायें महफिलें
ममता से भरा दरिया, सागर से भी गहरा सागर है माँ। ममता से भरा दरिया, सागर से भी गहरा सागर है माँ।
भारत के त्योहारों में, दिखती विशेषता है, भेदभाव भुलाकर दिखती यहाँ समानता है, भारत के त्योहारों में, दिखती विशेषता है, भेदभाव भुलाकर दिखती यहाँ समानता है,
सत्य पथ पर चले और मर्यादा से रहे, ताकि हंसते हुए मिटे सारे गम सत्य पथ पर चले और मर्यादा से रहे, ताकि हंसते हुए मिटे सारे गम
त्योहार हमारे जीवन में आते हैं सभी के चेहरे खिल खिल जाते हैं। त्योहार हमारे जीवन में आते हैं सभी के चेहरे खिल खिल जाते हैं।
कुछ ख़्वाब मेरे जगती आँखों ने देखा था, नहीं कर सकते जिनको अनदेखा सा। कुछ ख़्वाब मेरे जगती आँखों ने देखा था, नहीं कर सकते जिनको अनदेखा सा।
सौ साल की जगह.... मेरा जीवन भी केवल एक ही दिन का होता। सौ साल की जगह.... मेरा जीवन भी केवल एक ही दिन का होता।
कल्पनाओं के विस्तृत नभ को पारकर, जब जीवन की गहराई को माप सकूँ। कल्पनाओं के विस्तृत नभ को पारकर, जब जीवन की गहराई को माप सकूँ।
छोड़ दे इसका मोह, समय बचा हैं कितना मिट्टी के इस काया से मत कर प्यार इतना छोड़ दे इसका मोह, समय बचा हैं कितना मिट्टी के इस काया से मत कर प्यार इतना
और तूमने गले लगा लिया तो उनके लिये तुम आशीष बन के आती हो और तूमने गले लगा लिया तो उनके लिये तुम आशीष बन के आती हो
चंदन सम है इस देश की मिट्टी माथे पर लगा बल मिलता चंदन सम है इस देश की मिट्टी माथे पर लगा बल मिलता
त्योहारों के बहाने जीवन में सदा ही, लेकर आये जोश और उत्साह सदा हम। त्योहारों के बहाने जीवन में सदा ही, लेकर आये जोश और उत्साह सदा हम।
सेवा हो निस्वार्थ भाव, सेवा हो भक्ति त्याग भाव। सेवा हो निस्वार्थ भाव, सेवा हो भक्ति त्याग भाव।
मुरली धर इसी दिन गौ माता को चराया था। माँ-बाबा ने पूजन करके, वन में इनको पठाया था। मुरली धर इसी दिन गौ माता को चराया था। माँ-बाबा ने पूजन करके, वन में इनको पठाय...
लाल रंग की चुनरी मैया को खूब भाए। लाल-लाल पुष्प मस्तक व चरण पर शोभे। लाल रंग की चुनरी मैया को खूब भाए। लाल-लाल पुष्प मस्तक व चरण पर शोभे।
दोस्त सदा ही दर्द में बनते मरहम हैं, दोस्त मिलकर बनते सदा मैं से हम हैं, दोस्त सदा ही दर्द में बनते मरहम हैं, दोस्त मिलकर बनते सदा मैं से हम हैं,
दीपक जलाते, मैं चल रहा हूँ जीवन बनाते, मैं चल रहा हूँ। दीपक जलाते, मैं चल रहा हूँ जीवन बनाते, मैं चल रहा हूँ।