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Ajay Pandey

Classics

4  

Ajay Pandey

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बेटी की विदाई

बेटी की विदाई

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बेटी की विदाई

अश्रुपूरित नैनों से जिस पल

मैंने उसे विदा किया

क्षणभर को लगा मुझे यूँ

मेरा सबकुछ चला गया।


खुशियां घर की चली गयी 

घर का उत्सव चला गया 

कोयल की कुह कुह चली गयी 

बगिया का कलरव चला गया।


पर ये प्रथा है बेटी 

जो मैंने आज निभाई है 

तू मुझसे कब अलग हुई है 

तू तो इस हृदयतल में समाई है। 


जब तेरे नन्हे हाथों ने 

ऊँगली मेरी थामी थी 

मरुधर से मेरे जीवन में 

उम्मीद नई इक जागी थी। 


तेरे उन नंन्हे क़दमों ने 

जब घर का कोना नापा था 

तेरे हर पदचिन्हों को हमने 

नैनों में अपने छापा था। 


जब तेरे तुतलाते बोलों ने 

नया व्याकरण गाया था 

अधरों पे मुस्कान लिए 

खुशियों का मौसम आया था। 


तेरी पायल की रुनझुन ने 

जब घर आंगन खनकाया था 

मन हर्षित हो झूम गया था 

सौभाग्य मेरा इतराया था।


बालपन से अब तक का जीवन 

चलचित्र की मानिंद घूम गया 

क्षणभर को लगा मुझे यूँ 

मेरा सबकुछ चला गया। 


पर मानस की रीति यही है 

जो हमको भी अपनाना है 

तेरे जीवन की बगिया को 

खुशियों से महकाना है। 


महके जीवन तेरा हर पल 

खुशियों से दामन भरा रहे 

जीवन के हर पथ पर बेटी 

सौभाग्य तुम्हारा बना रहे।


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