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सुरेंद्र सैनी बवानीवाल "उड़ता "

Classics

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सुरेंद्र सैनी बवानीवाल "उड़ता "

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माँ - ममत्व

माँ - ममत्व

1 min
201


ममत्व माँ का रूप सर्वयापी सर्वत्व

पल-पल मुझे देता अपनत्व।

तेरे बिना जीवन-कल्पना नहीं, 

माँ तुमसे ही मेरा अस्तित्व।


माँ सर्वोपरि है तेरा ममत्व 

माँ तुमने अवनि^ सा संभाला(धरती)


माँ तुमने जननी बन पाला 

मैं कैसे झूठलाऊँ तेरा सत्व

माँ सर्वोपरि है तेरा ममत्व

माँ तुम मेरी कल्पना में हो माँ

तुम भाव-भंगिमा में हो।


माँ तुम हो मेरा जीवन-सत्य

माँ सर्वोपरि है तेरा ममत्व

माँ कुबेर की माया सी है माँ की

सर पे छाया ही है माता-किरदार

बहुत घनत्व^.( गहरा )


माँ सर्वोपरि है तेरा ममत्व

माँ तुम में समाया हर तत्व

प्रकृति का हर कण सदत्व

(शाश्वत सच) उड़ता की लेखनी

कुंचम^ है। (छोटी, तुच्छ)


माँ सर्वोपरि है तेरा ममत्व।


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