वजह
वजह
न हंसने की है वजह कोई, न रोने की वजह है,
तू ही बता दे अब, क्या मेरी उदासी की वजह है।
न सुख है पहलू में मेरे, न दुःख ही मुझे भाता है,
सूनी हैं ये आंखें , तो ख़ामोशी की क्या वजह है।
असमंजस में हूं अब तक , तेरी बेरुखी से आज,
न पास हूं तेरे, और न दूरी की ही कोई वजह है।
लब तो खामोश थे, पर तूने आवाज भी दी है,
न चाहत है मिलने की, न रुकने की वजह है।
सुख कि नहीं ख्वाहिश, तो दुःख से प्रीत कैसी,
न महफिल है मुनासिब, न तन्हाई की वजह है।
क्यों न लूं नाम तेरा, वफादारों की महफ़िल में,
बेवफा तू है नहीं, न वफ़ा की ही कोई वजह है।
नहीं बर्दाश्त होती मुझसे और ख़ामोशी आवारा,
न सुन सकेगी तू, और न कहने की कोई वजह है।