पूछ कर तो देख
पूछ कर तो देख
पूछ कर तो देख हसरतों से भी,
इनकी उड़ान के पंख नहीं होते।
न कर कोशिश हवाओं से लिखने की,
रेत पर इनके निशान नहीं होते।
ले चल ख्वाब झोली में अपनी,
रुक जाने से ये मुक्कमल नहीं होते।
देख लेना कभी मुड़ कर भी तू,
भूल जाने से फासले कम नहीं होते।
बना कर तो देख निशान अपने भी,
रुके कदमों के संग कारवां नहीं होते।
न रख बोझ कल का अपने सर पर,
कल के भरोसे, कल कभी नहीं होते।
तू बना दे अपनी भी एक रीत नई,
कामयाब, नाकामियों के बंधक नहीं होते।
मजा ही कुछ और होता ऐ जिन्दगी
,
अगर ये जख्म कुछ और गहरे होते।
भर आती हैं आंखें हंसते हंसते भी,
सिर्फ दर्द में ही आंसू साथ नहीं होते।
मुस्कुरा ही लेते थे हम भी यूं ही,
तो क्या भीतर तूफान नहीं होते।
कर ले बात थोड़ी देर खुद से भी,
तनहाई में तो सफ़र तमाम नहीं होते।
मुझे सुकून है अपने अकेले पन में भी,
भीड़ से तन्हाई के पल दूर नहीं होते।
तू कहे तो लिख दूं, मुकम्मल आज ही,
हर बार लफ्जों से दर्द बयां नहीं होते।
सुकून है तेरी सरहद पर जिन्दगी,
यूं तो मरने के बहाने हासिल नहीं होते।