I'm Ajay and I love to read StoryMirror contents.
विदेशी शब्दों से जाने कब क्यों, भ्रष्ट हो गई हिन्दी। विदेशी शब्दों से जाने कब क्यों, भ्रष्ट हो गई हिन्दी।
अब मैं यह भ्रम पाल चुका था, पोटली का सामान, अब बदल चुका था। अब मैं यह भ्रम पाल चुका था, पोटली का सामान, अब बदल चुका था।
पुण्य की पूर्णता हूं मैं, हां वही अयोध्या हूं मैं पुण्य की पूर्णता हूं मैं, हां वही अयोध्या हूं मैं
अब तो तार तार हुए, शर्म और सम्मान। अहम के अधीन हो, खुद ही बिक गया इंसान। अब तो तार तार हुए, शर्म और सम्मान। अहम के अधीन हो, खुद ही बिक गया इंसान...
तू कहे तो लिख दूं, मुकम्मल आज ही, हर बार लफ्जों से दर्द बयां नहीं होते। तू कहे तो लिख दूं, मुकम्मल आज ही, हर बार लफ्जों से दर्द बयां नहीं होते।
थोड़ी, कल की तस्वीर बन जाती है, कुछ लम्हों में, सिमट जाती है! थोड़ी, कल की तस्वीर बन जाती है, कुछ लम्हों में, सिमट जाती है!
गुज़र गए, उजालों के दौर यूं ही, वजूद में मेरे, अंधेरा ही रह गया। गुज़र गए, उजालों के दौर यूं ही, वजूद में मेरे, अंधेरा ही रह गया।
एक अरसा गुजर गया खुद से बात किए, जानें कहां चली गई मेरी खामोशियां। एक अरसा गुजर गया खुद से बात किए, जानें कहां चली गई मेरी खामोशियां।
कौड़ियों के भाव यहां बेक़सी बिकती है कौड़ियों के भाव यहां बेक़सी बिकती है
नहीं बर्दाश्त होती मुझसे और ख़ामोशी आवारा, न सुन सकेगी तू, और न कहने की कोई वजह है। नहीं बर्दाश्त होती मुझसे और ख़ामोशी आवारा, न सुन सकेगी तू, और न कहने की कोई व...