हां वही अयोध्या हूं मैं
हां वही अयोध्या हूं मैं
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सनातन का पुरुषार्थ हूं मैं,
मर्यादा की रीत हूं मैं,
मानवता की पराकाष्ठा हूं मैं,
हां, वही अयोध्या हूं मैं।
धर्म का अधिकार जहां,
परंपरा का आधार वहां,
आर्यावर्त की कहानी हूं मैं,
हां वही अयोध्या हूं मैं।
ऋषि मुनि जहां पूजे जाते,
देव जहां भ्रमण को आते,
पुण्य की पूर्णता हूं मैं,
हां वही अयोध्या हूं मैं।
इतने वर्ष सिसकती रही जो,
भू गर्भ में सोई रही जो,
अतीत देख कर रोती हूं मैं,
हां वही अयोध्या हूं मैं।
आज भाग्य पर इतरा रही हूं,
राम के स्वागत में सज रही हूं,
अतीत की वास्तविकता हूं मैं,
हां वही अयोध्या हूं मैं।