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Dheeraj kumar shukla darsh

Classics

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Dheeraj kumar shukla darsh

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पुल

पुल

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नदी पर से राह बनाता

एक दूसरे को है मिलाता

जोड़ता घाटियों को जो मिलकर

पुल इक ऐसी राह बनाता


जैसे पुल जोड़ता राहें

वैसे हृदय भी राह बनाता

प्यार के पुल से 

दो दिलों को है मिलाता


रिश्तों को जोड़कर रखता

एहसासों को साथ जोड़ता

प्यार का पुल आखिर

दिलों को दिलों से जोड़ता

बनाता इक राह सुंदर

जिस पर पुष्प प्यार का खिलता


नदियों में बहती जलधारा

हृदय में होती रसधारा

हृदय से हृदय का संगम

कर देता प्रेम वैसे ही

जैसे नदियाँ की धारा पर

राह बनाता पुल वैसे ही।


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