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Dheeraj kumar shukla darsh

Tragedy

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Dheeraj kumar shukla darsh

Tragedy

एक भाव के घाव

एक भाव के घाव

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जो साथ चलना चाहते हैं
उन्हें साथ मिलता कहाँ है
जो एक के हो जातें हैं
उन्हें साथ मिलता कहाँ है
मिलता है तो बस उन्हें
तन्हा,अकेले का घाव
घायल मन के भाव
टूटते हृदय के नश्तर
बिखरती यादों के बिस्तर
समर्पण पर तिरस्कृत
प्यार नही सिर्फ नफरत
यही मिलता है
साथ चलने वालों को अक्सर
जो रह जातें हैं फिर
पूरी तरह एक के होकर
और खुद में सिमटकर
©®धीरज कुमार शुक्ला'फाल्गुन'


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