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Shilpi Goel

Abstract Classics Inspirational

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Shilpi Goel

Abstract Classics Inspirational

ऊँचाई

ऊँचाई

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गरीब होता जाए और गरीब

अमीर हुआ रे और अमीर


जीवन रूपी सच्चाई यही है

संघर्षों की लड़ाई यही है


कोई ना इसका भेद जान पाए

समाज भी खुद को लाचार बताए 


व्यक्ति जितना ऊँचा होता जाए

मानवता को वह खोता जाए


स्वयं को समझ बैठा भगवान

बन ना पाया ढ़ंग से इंसान 


बड़े छोटे का ना मिटता भेद

जीवन भर रहता यह खेद


नोटों की गड्डी पर जब चढ़ता जाता है

सब कुछ छोटा नजर तुझे आता है


तुच्छ समझने वाले क्यों यह भूल जाता है

एक दिन सब यहाँ मिट्टी में मिल जाता है।


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