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Priyanka Shrivastava "शुभ्र"

Classics

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Priyanka Shrivastava "शुभ्र"

Classics

सुदर्शन सुत

सुदर्शन सुत

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विश्वास भरे हाथों में 

उछल रहा है लल्ला

आसमान छूने की चाहत

चाहत न होगी कभी आहत।


धरा और गगन के बीच

झूल रहा मस्ती में भींच

गिरने का नहीं कोई डर

माँ लेगी सब दुःख हर।


सुंदर बहुत है हिंडोला

माँ की बाहों का झूला 

जग में सबसे सुंदर लगता

प्यार से धीरे-धीरे बहता।


माँ खेलाती दुलराती

प्यार से पुचकारती 

माँ की आँखों में बसता

प्यार से संसार संवरता।


आस लिए खड़ी, कब बड़ा होगा

सभ्य इन्सान बन कब खड़ा होगा 

गदगद हृदय फूला न समाए

सुत भी माँ पर प्यार बरसाए।


उल्लासित हो पिता खड़े

आस है मन में बड़े-बड़े 

नाम करे वो मेरा रौशन

सुत हो मेरा ऐसा सुदर्शन।


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