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AMIT KUMAR

Fantasy

5.0  

AMIT KUMAR

Fantasy

अभी तो राह बाकी है

अभी तो राह बाकी है

1 min
270


अभी तो राह बाकी है, अभी आराम बाकी है

अभी तो ज़िन्दगी की हर हँसी-ओ-शाम बाकी है।


कभी जो आईना देखा, यकीनन हू-ब-हू देखा।

हमारे दिल मे क्या है वो, अभी तक क्यूं नहीं देखा।

अभी तो ज़िन्दगी की राह में, शाम-ओ-सुबह देखा। 

अभी तो राह बाकी है, अभी आराम बाकी है।


हमारी कशमकश को, देख कर यूँ लोग हँसते है,

न जाने क्या गिला उनको, जो हम पर लोग हँसते है।

हमारी ज़िंदगी का फलसफा कुछ इस तरह बिखरा।

समेटा हमसे न जाये, यहाँ सब लोग हँसते है।


अभी तो कुछ कदम चल कर, हमे अहसास आया है।

ज़माना देखता है बस, हमें क्या काम आया है।

कभी जो ज्ञान देते थे, वही अनजान है खुद से।

कि मैंने अब हकीकत में, न जाने कौन पाया है।


लिया कुछ फैसला अपना, जो मेरी ज़िंदगी का है।

वही बस एक ही सपना, जो मेरी ज़िंदगी का है।

जो मेरी ज़िंदगी की शाम का अंजाम बाकी है।

अभी तो राह बाकी है, अभी आराम बाकी है।

अभी तो ज़िन्दगी की हर हसी वो शाम बाकी है।



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