ख्वाहिशों की दुनिया
ख्वाहिशों की दुनिया
छोटा सा ही सही एक आशियाना चाहता हूँ
हवाओं के रुख से दूर मैं एक मेहखाना चाहता हूँ
जंहा पहुचने का खयाल भी न आया हो किसी को
हाँ मैं ऐसी ही किसी जगह जाना चाहता हूँ।
जंहा सफर का अंत तय न हो
जंहा वक्त की सुइयों का भय न हो
आसमान से दूर मैं ज़मीन से खफा होना चाहता हूँ
जंहा पहुचने का खयाल भी न आया हो किसी को
हाँ मैं ऐसी ही किसी जगह जाना चाहता हूँ।
जंहा मेरी खामोशिया भी गूँजने लगे
जंहा मेरी झूठी मुस्कुराहटे भी ऑंसूओ में बदलने लगे
जंहा मेरी कलम बेख़ौफ़ होकर लिख सके
जंहा मेरे अल्फाजो को कोई माईना मिल सके।
इस बड़ी सी दुनिया से दूर में अपना
छोटा सा एक जहांन बनाना चाहता हूँ
जहां पहुंचने का ख्याल भी न आया हो किसी को
हाँ मैं ऐसी ही किसी जगह जाना चाहता हूँ।