STORYMIRROR

Anuja Singh

Abstract Fantasy

4  

Anuja Singh

Abstract Fantasy

ख़्वाब

ख़्वाब

1 min
408


तू ख़्वाब देख

अनंत अनदेखे सलोने

सतरंगी अतरंगी

बस तू ख़्वाब देख

देख वो नगर जो दिल को भाए

सूरज ढले तो भी चमक ना जाए

आँखें खुले तो भी रोशन रास्ते हो

घर के लोग जहाँ हँसते बसते हो

ख़ुशी देख एहसास देख

पूरे कर दे जो सफ़र वो राह देख

तू ख़्वाब देख

मुश्किल से मुश्किल मुक़ाम देख

कोई गाँव देख

या दूर कहीं कोई नगर होगा

जिसमें ख़ुशी का बसर होगा

पाँव लगेंगे रास्ते जब

हसीन हर एक मंजर होगा

तू रंग देख आकार देख

नदी समंदर पार देख

तू ख़्वाब देख॥


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract