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Anuja Singh

Abstract Inspirational

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Anuja Singh

Abstract Inspirational

किताबें

किताबें

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कभी किताबें मित्र थी

जिसके पन्नों पर कितने ही आँसू

यूं ही गुम हो गए जैसे

दरिया कोई समंदर में मिल जाता है

अब भी किताबें मित्र हैं

पर अब वो स्थिरता नहीं है

रोज़ एक नया किरदार ले लेती है 

कभी कभी याद भी नहीं आती

बस पढ़े जा रहे है 

जैसे कोई रास्ता है लंबा सा

चलना है अंत तक

मकसद बेमकसद बस चलना है

और सफर कैसा होगा ये 

ना तो किसी ने सोचा

और ना कोई जानकारी चाहता है

एक मील का पत्थर है

पार करना है और बैठ जाना है

किसी मुकम्मल मंज़िल की तलाश में



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