इंतज़ार
इंतज़ार
वक़्त से मैने मोहलत ली
आंखो को तेरा इंतज़ार सा था,
बिगड़े हुए मुकद्दर पर अपने
फिर भी ज़रा एतबार सा था,
बेबस दिल को थाम के रखा
धडकनों में तेरा नाम सा था,
गिन गिन कर ये सांसे आयी
एहद ए वफ़ा का इंतजार सा था,
अब तुम नहीं तो टूट कर
फिर भी मैं गिरता नहीं,
वो गलिया नज़ारे सब वहीं है
कुछ भी तो बदला नहीं,
एहसास था जो दिल से वो जाता रहा
कुछ इस तरह ज़िन्दगी से अपना नाता रहाll

