बारिश का मौसम
बारिश का मौसम
ये बारिश का मौसम, ये वर्षा का जल
बड़ा ही मधुर लगता हैं ये नदियों का कल-कल
आती हैं यादें, ऐसे में हर पल
धड़कता है ये दिल, फिर पल-पल
था कोई वो जिस बिन सावन भी अब सूखा है,
था कोई वो जिस बिन मौसम भी अब रूखा है ।
आती हैं यादें जब उसकी,
होती हैं वर्षा अँखियों से जल की ।
वो बरखा का पानी हैं, या हैं अँखियों का जल
भीग कर वर्षा में, खो जाता हूं इसी कशमकश में,
मैं हर पल ।
बना के तस्वीर उसकी, बरखा के जल में
ढूंढता हूँ उसको फिर, बरखा के जल में ।
टूटता है ये भ्रम फिर पल भर में,
मिलती हैं जब बूंदे, अँखियों के जल में ।
घटा काली छाती हैं ऐसे,
अँखियों के आगे उसका साया हो जैसे ।
बरसती हैं मिलकर घटाए जब जब
टूटता हैं हर पल, दिल ये तब तब ।
मेरा तो सावन सूखा है हर पल
बरस के अब और ना तड़पा तू एक पल ।