एहसास लिख रहा हूँ
एहसास लिख रहा हूँ
मैं आज कुछ ख़ास नहीं, अपने मन की बात लिख रहा हूँ
तुम्हारे लिये अपने दिल का एक एहसास लिख रहा हूँ
चाहो तो इसे पढ़ना तुम, चाहो तो इसे समझना तुम
गर हो एहसास तुम्हें, महसूस उसे करना तुम,
कुछ खास नहीं शब्दो में बंधी अपने मन की बात लिख रहा हूँ
दिल को हो महसूस वो दिल की बात लिख रहा हूँ
थे मिले जब पहली बार तुम, कुछ खास लगा वो बात लिख रहा हूँ
दिल ने दिल छुआ था वो एहसास लिख रहा हूँ
फिर मिलते रहे, सिलसिला यू चलता रहा और हम आगे बढ़ते रहे
हुए जो एक दिन जुदा हम, बिछुड़ने का वो एहसास लिख रहा हूँ
तुम थे अनजाने से, मिलते मिलते मेरी पहचान बन गए
पहचान से फिर मेरी जान बन गए,
अपनी उस जान को जीने की एक आस लिख रहा हूँ
तुम्हें फिर से पाने का विश्वास लिख रहा हूँ
कुछ खास नहीं अपने अधूरे प्यार की दास्तान लिख रहा हूँ,
शब्दों के मिलन से कैसे मेरी कविता
बनी कुछ अनजान सी बात लिख रहा हूँ
तेरे प्यार से सीखा प्यार करना,
मैं बना कवि अब अपने प्यार की
पहचान लिख रहा हूँ,
दिल में दबी प्यार की आह लिख रहा हूँ,
सीने में तड़पती जुदाई की आग
और मिलन की आस लिख रहा हूँ
मैं आज कुछ ख़ास नहीं,
अपने मन की बात लिख रहा हूँ
तुम्हारे लिये अपने दिल का
एक एहसास लिख रहा हूँ।