राहें
राहें
अक्सर मुश्किल रास्ते हमें,
खूबसूरत मंजिल दिखा जाते हैं।
चलते रहे, गर करते रहे अपने कर्म,
हम हर मंजिल को पा जाते हैं।
पथ अंजाना, नया नवेला हो सकता है,
पर चलना हम कैसे भूले,
वो तो बचपन में सीखा जाता हैं।
मुश्किल राहो से घबराना क्या,
गर मंजिल को पाना हैं,
तू फिर भी पा जाएगा मंजिल,
गर पथ अंजाना हैं
कहे अनिल यही
बस एक राह, हो निडर
तुझे चलते जाना हैं,
ना सोच इधर, ना सोच उधर,
ना देख इधर, ना देख उधर
बस मंजिल पर हो तेरी नज़र,
तो सब जाना पहचाना हैं
क्या लिखा भाग्य में तेरे,
क्या होगा साथ तेरे
ना तूने जाना, ना मैंने जाना हैं,
फिर क्यों राह मुश्किल
देख तू घबराता हैं,
मुश्किल राहो में भी अक्सर
खूबसूरत मंजर दिख जाता हैं,
राहें मुश्किल दृढ़संकल्पी हमें बनाती,
खूबसूरत मंजिल हमें दिखती हैं।