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हरि शंकर गोयल "श्री हरि"

Romance Classics Inspirational

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हरि शंकर गोयल "श्री हरि"

Romance Classics Inspirational

परी

परी

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दूर किसी देश में एक परी रहती है 

पवन सी मुक्त है झरनों सी बहती है।


सुन्दर इतनी कि मेनका भी शरमाए 

आंखों में उसकी मधुशाला समा जाए 

जब चलती है तो बहारें साथ चलती है 

"तमन्ना" उसको छूने को तरसती है 


कोमल शबनमी लब जब खुलते हैं 

दिल में हजारों तूफां एक साथ उठते हैं 


बालों को लहरा दे तो शाम हो जाये 

जुल्फों तले पीने का इंतजाम हो जाये 


जी करता है मेंहदी वाले हाथ चूम लूं 

बाहों में भर लूं और जी भर के झूम लूं।


 कमर जब लचकती है कयामत आती है 

शहर के आशिकों की शामत आ जाती है 


न जाने किसके खयालों में डूबी रहती है 

मुझे तो वह एक सिरफिरी सी लगती है 


सुना है आजकल परियां बहुत उड़ने लगी हैं 

घरवालों के खिलाफ जाकर इश्क करने लगी हैं 


बिना शादी के ही प्रेमी के साथ रहने लगी हैं 

गाजर मूली की तरह टुकड़े टुकडे कटने लगी हैं।


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