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Suresh Sachan Patel

Classics

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Suresh Sachan Patel

Classics

।।विजय दशमी।।

।।विजय दशमी।।

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विजय दशमी का त्योहार है आया,

    दशहरा खुशी से सारे मनाते हैं।

      बुरा बना कर रावण को सारे,

       सभी रावण हर साल जलाते हैं।


आओ हम भी हैं साथ तुम्हारे,

  जला दो सारी अपनी आज बुराई।

    मुझे बताओ आज के युग में लेकिन,

      क्या इस धरती में राम बचा है कोई


थी गलती एक रावण की भारी,

    माता सीता का हरण किया।

     बस एक गलती के कारण ही,

       सारा कुनवा अपना नष्ट किया।


जरा नजर उठाओ जग वालो,

  क्या अब समाज में रावण कोई नहीं।

   क्या अब किसी सीता का हरण नहीं होता,

     ऐसे दरिंदे रावण को जलाता कोई नहीं।


क्या कोई बता सकता है दिल से,

  किसके दिल में रावण नहीं बसा।

    हर एक दिल कलुषित सा लगता,

      करता हत्या चोरी और नशा।


अगर जलाते हो रावण को तो,

  अपनी भी एक बुराई जला डालो।

    कुछ तो दिल अपना निर्मल कर लो,

        कुछ औरों की बुराई जला डालो।

        

 


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