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Suresh Sachan Patel

Others

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Suresh Sachan Patel

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।।यादों का जंगल।।

।।यादों का जंगल।।

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यादों के इस जंगल में,

कुछ सुंदर यादों के फूल खिले थे।

कुछ मीठी सी कुछ कड़वी सी,

तरह तरह के रंग दिखे थे।

कुछ स्मृतियां मन के पटल पर,

रहती सुंदर सुगम सुहावनी सी।

कुछ सुंदर कलियों सी प्यारी,

लगती बहुत लुभावनी सी।

बहुत बड़ा है यादों का जंगल,

बहु भांति हैं यादों के तरुवर।

कुछ सूखी यादों के संग,

हरित आज भी हैं मन पर।

कुछ खट्टी सी कुछ मीठी सी,

कुछ कड़वे अनुभव के फल,

अच्छादित हैं आज भी मन में,

मिला नहीं जिनका कोई हल।

कुछ धुंधली यादों की झाड़ी बन,

दिल में कांटे खूब चुभाती हैं।

बाहर निकलो अब इस जंगल से,

नई सुबह सभी को बुलाती है।


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