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Suresh Sachan Patel

Others

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Suresh Sachan Patel

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।।हरित छाॅ॑व।।

।।हरित छाॅ॑व।।

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हरित सघन जहाॅ॑ छाॅ॑व प्यार की।

वहीं खुशियां सारी संसार की।

चाहे हो ममता की छाया।

चाहे हो माया की छाया।


सघन छाॅ॑व जहाॅ॑ पर होती है।

आनंद अनुभूति वहीं होती है।

जीवन का आनंद वहीं है।

सुख का आनंद कंद वहीं है।


तेज धूप की पड़ती जब मार।

हरित छाॅ॑व पर आता तब प्यार।

गर्मी से तब मिलती निजात।

तन को देती सुख हरित पात।


बरबस आकर्षित हो जाता है।

प्यार छाॅ॑व से हो जाता है।

सूरज जब आॅ॑खें दिखलाता।

गर्मी में सबको खूब डराता।


बात निराली हरित छाया की।

आनंद दायिनी है काया की।

हरित जैसी कोई छाया न होती।

संतोष दायिनी सबकी होती।



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