सृजन( मुक्तक)
सृजन( मुक्तक)
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सृजन कर लो अजी कुछ तो, धरोहर यह तुम्हारी है।
सृजन करते रहो जब तक, चलें यह सांस प्यारी है।
सृजन बिन सब अधूरा है, सृजन बिन कुछ नहीं होता,
सृजन कुछ जग में कर जाओ, रहें यादें तुम्हारी हैं।
सृजन सब लोग करते हैं, धरा पर जो भी आया है।
सृजन बिन कुछ नहीं यहां पर, सृजन सबको भाया है।
जीने के लिए यहां पर, सृजन सबको ही करना है,
सृजन बिन यहां पर जीवन, किसी को भी न भाया है।