वर्षा ऋतु
वर्षा ऋतु
बारिश की बूँदों से धरती की प्यास बुझने लगी
मोर पपीहे के गीतों से मधुर तान छिड़ने लगी।
फूलों व बाग बगीचों में नयी रौनक आने लगी
धरा की रग रग में सौंधी खुशबू महकने लगी।
हरियाली की चादर से हर जमीन सजने लगी
झमाझम बारिश की बूंदें मोती सी गिरने लगी।
रिमझिम बारिश में कागज की नाव चलने लगी
शीतल बयार मन को प्रेम का संदेश देने लगी।
पशु पक्षी सब चहक उठे, गीत खुशी के गाते हैं
नदी नाले ताल तलैया भी खुशी से छलकाते हैं।
कण कण में प्यार भरा, प्रकृति है सब पर वारी
मासूम घटाओं संग धरती ने दी है ममता सारी।
