हमारे त्यौहार।
हमारे त्यौहार।
भारत कई धर्मों का देश,
बहुत से समुदायों से भरा हुआ,
जाति प्रथा से ओतप्रोत,
लेकिन फिर भी नहीं,
मन मुटाव,
यानि " एकता में अनेकता " का प्रतीक।
इन धर्मों के,
अलग अलग त्यौहार,
लोग मनाते बढ़े चाव से,
आपस में रल मिल कर।
ऐसा ही एक त्यौहार दिवाली,
जो प्रभु राम के अयोध्या,
वापस आने पर मनाया जाता।
लोग दिपावली करते,
पटाखें फोड़ते,
मिठाइयां बांटते,
कोई भी वस्तु,
नई लेनी हो,
दिवाली का इंतजार करते।
दुकानदार भी,
अच्छी खासी छूट देते,
अपनी साल पर की कमाई,
इस दिन पैदा करते।
लोग घरों की,
साफ सफाई करते,
रंग रोगन करवाते,
रंगोली बनाते।
दिवाली के दिन,
लक्ष्मी पुजन करवाते।
इस दिन लोगों को,
बोनस मिलता,
सबको अवकाश मिलता,
सब अपने घरों को लौटते,
और अपने वीवी बच्चों के साथ,
दिवाली मनाते।
इस दिन,
हमारे देश की आर्थिकी भी,
उछाल खाती,
क्योंकि सारे लोग,
छोटे बड़े गरीब अमीर,
अपनी क्षमता अनुसार खर्च करते,
जिससे गोदाम खाली होते,
दुकानदार नया ओडर करते,
फैक्टरी नया सामान बनाती,
लोगों के रोजगार बढ़ते।
ये सब त्यौहारों के साथ,
त्यौहार आर्थिकी को धक्का लगाते,
सबकी जेब से पैसे खर्चे जाते,
ये कदम,
अर्थव्यवस्था को संभालते।
इस तरह त्यौहार,
सिर्फ भक्ति भावना से ही नहीं,
आपस में मेल मिलाप भी बढ़ाते,
व्यापार भी पैदा करते,
रोजगार भी लाते,
लोगों में खुशी भी दर्शाते,
और एक नया जोश भरते।
