देवी स्कन्दमाता
देवी स्कन्दमाता
आदि शक्ति मॉं भगवती दुर्गा भवानी का
शारदीय नवरात्रि में पंचम स्वरूप स्कन्द माता
भगवती की शक्ति से उत्पन्न हुए कुमार स्कन्द
भगवान् स्कन्द बालरूप में इनकी गोद में।
स्कन्द का एक नाम कुमार कार्तिकेय भी
इन्होंने देवशत्रु तारकासुर का वध किया,
तारकासुर को वर था शिवपुत्र से मरण का
इसी हेतु शिव ने वरण किया पार्वती का।
देवी पार्वती का शंकर से मंगल परिणय हुआ
स्कन्द जन्म होने से इनका नाम स्कन्दमाता,
सिंहवाहिनी हैं चतर्भुजा स्कन्दमाता यशस्विनी
सिर पर सुन्दर मुकुट कानों में स्वर्णाभूषण।
दाहिने हस्त से स्कन्द को पकड़ा हुआ है,
दो हाथों में कमल सजा ,एक हाथ में वरमुद्रा,
इनकी कृपा से मूढ़ ज्ञानी होता ,शक्ति पाता
माहेश्वरी गौरी हिमाचलसुता इन्हीं के नाम हैं।
ये यश कीर्ति बुद्धि प्रदाता हैं, आपद् हरतीं
पहाड़ों पर रहकर नव चेतना निर्माण करतीं,
भक्तों का मनोरथ पूर्ण करतीं, संरक्षण करतीं
इच्छाशक्ति ज्ञानशक्ति क्रियाशक्ति का समागम हैं।
