चुपके-चुपके
चुपके-चुपके
चाँद-सितारों से हुई,
चुपके-चुपके बात।
चंदन-चंदन हो गई,
यादों वाली रात।।
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यादों के मेले सजे,
ख़्वाबों की दूकान।
मिले जहाँ बेमोल ही,
खुशियों का सामान।।
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कुछ अल्हड़ मासूम थे,
कोमल-से अहसास।
रंग-बिरंगे झूमते,
करते जैसे रास।।
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तीखे-तीखे चल रहे,
नयनों के भी तीर।
जख्म निगाहों से लगे,
मीठी-मीठी पीर।।
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ख़्वाब सुहाने सज गए,
आ बैठे वो पास।
तन्हाई गुमसुम हुई,
बैठी रही उदास।।
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दिल दे कर होते यहाँ,
सब कितने लाचार।
दीवाने जिसके हुए,
उसके ही बीमार।।
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