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Rashmi Sthapak

Classics

4  

Rashmi Sthapak

Classics

चुपके-चुपके

चुपके-चुपके

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चाँद-सितारों से हुई,

चुपके-चुपके बात।

चंदन-चंदन हो गई,

यादों वाली रात।।

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यादों के मेले सजे,

ख़्वाबों की दूकान।

मिले जहाँ बेमोल ही,

खुशियों का सामान।।  

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कुछ अल्हड़ मासूम थे,

कोमल-से अहसास। 

रंग-बिरंगे झूमते,

करते जैसे रास।।

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तीखे-तीखे चल रहे,

नयनों के भी तीर।

जख्म निगाहों से लगे,

मीठी-मीठी पीर।।

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ख़्वाब सुहाने सज गए,

आ बैठे वो पास।

तन्हाई गुमसुम हुई,

बैठी रही उदास।।

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दिल दे कर होते यहाँ,

सब कितने लाचार।

दीवाने जिसके हुए,

उसके ही बीमार।।

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