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Rashmi Sthapak

Classics

3  

Rashmi Sthapak

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फिर आया वसंत

फिर आया वसंत

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मौसम ने जादू किया,

मतवाला परिवेश।

मंद-मंद डोले हवा,

लिये प्रीत-संदेश।।

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प्रणय-निवेदन कर रहे,

फूलों के सब रंग। 

बौराई चंचल हवा,

बगराती है ढंग।।

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वासंती नदियाँ हुईं,

महकी हुई बयार।

रंग प्रेम का बह रहा,

भीग रहा संसार।।

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रसवंती कलियाँ हुईं,

कोमल झुकती डाल।

मदमाती फिरती पवन,

होते भ्रमर निहाल।।

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कौन किसे घायल करे,

हर कोई अनजान। 

ऋतुओं का राजा चले,

लेकर तीर कमान।।

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कलम थाम कर हाथ में,

मौसम लिखे बसंत।

अमर भावना प्रीत की,

आदि न इसका अंत।।

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रश्मि स्थापक


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