फिर आया वसंत
फिर आया वसंत
मौसम ने जादू किया,
मतवाला परिवेश।
मंद-मंद डोले हवा,
लिये प्रीत-संदेश।।
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प्रणय-निवेदन कर रहे,
फूलों के सब रंग।
बौराई चंचल हवा,
बगराती है ढंग।।
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वासंती नदियाँ हुईं,
महकी हुई बयार।
रंग प्रेम का बह रहा,
भीग रहा संसार।।
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रसवंती कलियाँ हुईं,
कोमल झुकती डाल।
मदमाती फिरती पवन,
होते भ्रमर निहाल।।
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कौन किसे घायल करे,
हर कोई अनजान।
ऋतुओं का राजा चले,
लेकर तीर कमान।।
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कलम थाम कर हाथ में,
मौसम लिखे बसंत।
अमर भावना प्रीत की,
आदि न इसका अंत।।
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रश्मि स्थापक
