STORYMIRROR

Suresh Sachan Patel

Classics

4  

Suresh Sachan Patel

Classics

।।राम सुग्रीव मिलाप।।

।।राम सुग्रीव मिलाप।।

1 min
400


भटकते हुए राम लक्ष्मन,पर्वत ऋषिमुख में आए।

देखा भयभीत सुग्रीव ने जब,लगा दुश्मन हैं कोई आए।

भेजा हनुमान जी को तुरंत ही,देखो कौन हैं ये अजनबी आए।

क्या बाली ने इनको है भेजा,या भटकते हुए हैं ये आए।

धर ब्राह्मण का भेष कपि ने,सम्मुख पहुॅ॑चे हैं राम जी के।

दे कर परिचय खुद का अपना,पूछा कौन हो तुम राही वन के।

प्रेम ब्राह्मण का देख प्रभू ने,आप बीती खुद अपनी बताई।

खोज में हम सीता के निकले,हो सके तो बनो तुम सहाई।

पा कर पास प्रभु राम जी को,रूप असली हनुमत ने दिखाया।

ऋषीमुख पर्वत में जा कर,राजा सुग्रीव से था मिलाया।

राम लक्ष्मण को पास पाकर,भर गया दिल खुशी से सारा।

मिल गले प्यार से राम सुग्रीव,एक दूजे के बन गए सहारा।

कह सुनाई सुग्रीव गाथा,भ्राता बाली बहुत ही बलिष्ठ है।

छीन ली है हमारी भार्या,कार्य उसके बहुत ही निकृष्ठ हैं।

राम जी ने बताई आप बीती,रावण सीता चुरा ले गया है।

बात मुझको बताई जटायू,लेकर दक्षिण दिशा को गया है।

मार बाली को मुक्ति दिया फिर,सिंहासन में सुग्रीव बिठाया।

मुक्त तारा हुई कैद से फिर,खोज सीता की आगे बढ़ाया।

               


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Classics