तुम बिन
तुम बिन
तुम बिन ये घर फिर मकान हो गया
सूना-सूना सा मेरा ये ज़हान हो गया
अदावत नींदों से हम भी करके बैठे हैं
ख़्वाबों में तेरा आना जंजाल हो गया
हुई आहट चौखट पे तो दिल धड़कने लगा
कितना लंबा ना जाने ये इंतज़ार हो गया
ताज़्ज़ुब है ज़िंदा हम है तेरे बिना भी यहाँ
हमसे ना जाने कौन सा ऐसा गुनाह हो गया
लौट आना एक बार जाने के लिए ही सही
साँस लिए भी हमकों एक ज़माना हो गया.