एहसास की डोर
एहसास की डोर
ख्याल जुदा है फिर भी
इक डोर बंधी सांसों की
जितना भी हो रैन बसेरा
तुम आधार बनो जीवन की
महकता आंचल, सुरमई नैना
होंठ खिले हों जैसे पंखुड़ी
सारा आलम बस मेरा हो
तुम बरसो बरसती रिमझिम सी
धूप कहीं, कहीं स्पर्श हो छाया
जैसे सांझ ढले क्षितिज की माया
हर पल बनकर चांद निहारूं
तुम झील बनकर बहना संग ही
जब हो जाए पूनम की रात
चम चम हो जाए तारों की
एक ख्याल बनकर हमेशा
तुझमें धडकूं मैं सदा ही !

