STORYMIRROR

Harminder Kaur

Others

4  

Harminder Kaur

Others

स्याही

स्याही

1 min
326

जज़्बातों की स्याही से

उकेरा है मैनें श्वेत सफहों पर आज

कह रही जो धड़कने 

अंतस में दे रही आवाज़


कोई तो समझे तम से लिपटे 

ओंधे पड़े अनुवाद

खिलने को तो गुल 

खिल ही जायेंगे बेशुमार 

और सच जानो

उनकी खुश्बू से भरी स्याही

फिर ले आएगी होंठों पर

एक खुशनुमा एहसास


उन खामोश एहसासों को

तुम तक लाने को तह करना होगा

भीनी भीनी महक से सना और

सच में करना होगा

मन की चंद दहलीजों को पार

जो तुमसे कह सके इस दूरी में भी

इंद्रधनुषी रंगों में रंगी मेरी तमन्नाएं

और बन सके स्याही वो आधार !



Rate this content
Log in