कभी बस यूं ही
कभी बस यूं ही
"कभी बस यूं ही तेरे पहलू में रोने का मन करता है,
एक तेरी ही आवाज के लिए मेरा दिन गुजरता है,"
"सुबह से शाम दौड़ती है जिंदगी तेरी ही याद में,
अब बस खुद को यादों में दफ़न करने का मन करता है,"
"खुली हुई किताबों में अक्सर अक्स तेरा नज़र आता है,
तेरे ही अक्स से लिपट कर सोने का मन करता है,"
"डूबते हुए सूरज से अक्सर सवाल यही करती हूं क्या तू आएगा,
पर फिर खुद ही ढलती हुई उम्मीदों को लेकर चल पड़ती हूं
कि कल फिर एक नया दिन और आएगा,"
"खुली हुई खिड़की से चांद नजर आ रहा है तू नहीं है
बस तेरा दीदार हो रहा है,
एक सुकून सा है इस रात में ये चांद भी बतला रहा है,"
"तेरे ना आने से मैं अक्सर चांद से बातें किया करती हूं,
कुछ बीती बातें और कुछ नए सपने हर रात बुना करती हूं,,
"अक्सर ही तो टूट कर बिखरती हूं पर तुझसे नहीं मिलती हूं,
देखती हूं जब तुझे अपने ही आंगन में तो
तुझे क्या पता कितनी मुश्किल से संभलती हूं,"
"कितनी ही अनगिनत बातें तुझसे करने का मन करता है पर तू नहीं होता है,
कसम से उस वक्त बस तेरे ही पहलू में रोने का मन करता है,
"कभी बस यूं ही...........

