सपने में तुम कितने सुन्दर
सपने में तुम कितने सुन्दर
सपने में तुम कितने सुन्दर
रहते हो क्यों दूर
तुम्हारी झलक देखते ही मेरा
ह्रदय में खिलते है गुल
निगाह तुम्हारी इतनी मिठास
मिटाती मन की प्यास
मेरे पास तुम आते ही
सपना हो जाता साकार
तुम्हे सामने देखकर मैं
खुद को कहीं खो देता
आँखे तुम्हारी रूप देखकर
मैं हो जाता हूँ दिलबर
दिल की धड़कने आवाज उठाते
पर बोल नहीं पता
मन मेरा काबू में न रह्कर
तुम्हारी दिल को छूना चाहता
तुम मेरे हो, मैं तुम्हारा हूँ
प्रवाहमान नदी की लहरें हूँ
बहता रहता इस आशा से
मिलेंगे सागर में जरूर प्यार से।