जिऊंगा तुम्हारी ख्वाबो में
जिऊंगा तुम्हारी ख्वाबो में
मेरा दिल में खिलती है गुलाब
तुम्हे प्यार देने के लिए
पंखुड़ियाँ गाती हैं गीत
तुम्हे खुश देखने के लिए
मैं भरपूर प्रयास करता हूँ
पर कमाई कुछ भी नहीं
मेरा नश्वर शरीर यही कहता
जिंदगी का खुशबु तुम ही
मेरी निगाहें तलाशती सदा
हर चीज़ों में तुम्हारी मौजूदगी
बहती सांसें तैरते रहती
तुम्हारी कल्पना सागर में अकेली
मैं दिन रात यही सोचता हूँ
तुम्हे बहुत सी चीज़ें दूँ
पर वैसा कुछ भी नहीं मेरे पास
जो तुम्हे अर्पण करूँ
जब तुम मेरा करीब होती
अँधेरे में रौशनी बिखरती
तुम्हारी तशरीफ़ लाने से
खो जाता हूँ मैं कहीं
जब तुम बिछड़ जाती हो
पदचिह्न तुम्हारा ढूंढ़ता हूँ
यहां अकेला मैं नहीं हूँ
तुम्हारी यादें
दिल में बैठा कर जीता हूँ
बस एक बार तुम मेरे पास आना
आखिरी सांस निकलेगी जब
जिंदगी का उस पार में
जिऊंगा तुम्हारी ख्वाबो में।

