STORYMIRROR

Debashis Bhattacharya

Romance

4  

Debashis Bhattacharya

Romance

जिऊंगा तुम्हारी ख्वाबो में

जिऊंगा तुम्हारी ख्वाबो में

1 min
383

मेरा दिल में खिलती है गुलाब

तुम्हे प्यार देने के लिए

पंखुड़ियाँ गाती हैं गीत

तुम्हे खुश देखने के लिए

 

मैं भरपूर प्रयास करता हूँ

पर कमाई कुछ भी नहीं

मेरा नश्वर शरीर यही कहता

जिंदगी का खुशबु तुम ही


मेरी निगाहें तलाशती सदा 

हर चीज़ों में तुम्हारी मौजूदगी

बहती सांसें तैरते रहती

तुम्हारी कल्पना सागर में अकेली

 

मैं दिन रात यही सोचता हूँ

तुम्हे बहुत सी चीज़ें दूँ

पर वैसा कुछ भी नहीं मेरे पास

जो तुम्हे अर्पण करूँ


जब तुम मेरा करीब होती 

अँधेरे में रौशनी बिखरती

तुम्हारी तशरीफ़ लाने से

खो जाता हूँ मैं कहीं


जब तुम बिछड़ जाती हो

पदचिह्न तुम्हारा ढूंढ़ता हूँ

यहां अकेला मैं नहीं हूँ

तुम्हारी यादें

दिल में बैठा कर जीता हूँ


बस एक बार तुम मेरे पास आना

आखिरी सांस निकलेगी जब

जिंदगी का उस पार में

जिऊंगा तुम्हारी ख्वाबो में।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance