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Debashis Bhattacharya

Abstract

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Debashis Bhattacharya

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मरण के उस पार

मरण के उस पार

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कैसे समझाऊं मैं तुम्हें

हृदय में तुम्हारा वास

मेरे जिन्दगी के साँस

जो बहते रहते सदा


कहते बार बार

प्यार ही मेरे शान

पा कर सबकुछ खोना चाहते

मेरे आत्मा और ध्यान

दुनिया में क्या है


जो दिल चाहते

पल भर के तुम्हारा मुस्कुराहट

दुःख भागते कहकर

अलविदा, नमस्कार

सागर, बादल गरजते और कहते


मिटती नहीं दुःख तब तक

आशिकी न हो पास जब तक

तुम और मैं रहेंगे एक साथ

मरण के उस पार।


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