तुम्हारे पास जाऊंगा मैं
तुम्हारे पास जाऊंगा मैं
तुम्हारे पास जाऊंगा मैं
लहर बनकर बार-बार
मन की भाषा न समझकर
तुम देखते नहीं मुझे मुड़कर
मैं लौटता हूँ निराश होकर
सपना-चद्दर दिल में ओढ़कर
तुम्हे कभी भूल नहीं सकता
हर पल सोचता ही रहता
तुम्हारा चित्र दिल में बैठाकर
देता हूँ प्यार अंजलि निरंतर
जब गिरती चाँदनी जोत्सना रात में
नदी कि तरंग पर अँधेरा हटाकर
मैं बहता हूँ ज्वार बनकर
तुमसे मिलने का ख्वाइश लेकर
तब तुम खड़े रहना
मेरी दिल की पुकार सुनकर
मेरे पास कुछ भी नहीं
जो मैं तुम्हे दे सकूँ
सिवाय प्यार की उमंग से भरा
दिल में तुम्हारा गुलदस्ता
एकबार तुम जरूर मिलना
सह लेंगे परेशानियां
यद्यपि तुम चले भी जाओगे
रखूँगा तुम्हें अपना दिल में