STORYMIRROR

Debashis Bhattacharya

Romance

4  

Debashis Bhattacharya

Romance

तुम्हारे पास जाऊंगा मैं

तुम्हारे पास जाऊंगा मैं

1 min
386

तुम्हारे पास जाऊंगा मैं

लहर बनकर बार-बार 

मन की भाषा न समझकर

तुम देखते नहीं मुझे मुड़कर

मैं लौटता हूँ निराश होकर

सपना-चद्दर दिल में ओढ़कर


तुम्हे कभी भूल नहीं सकता

हर पल सोचता ही रहता

तुम्हारा चित्र दिल में बैठाकर

देता हूँ प्यार अंजलि निरंतर


जब गिरती चाँदनी जोत्सना रात में

नदी कि तरंग पर अँधेरा हटाकर

मैं बहता हूँ ज्वार बनकर

तुमसे मिलने का ख्वाइश लेकर


तब तुम खड़े रहना

मेरी दिल की पुकार सुनकर

मेरे पास कुछ भी नहीं

जो मैं तुम्हे अर्पण करूँ

सिवाय प्यार की धागे से बंधे हुए

तुम्हारा नाम का गुलदस्ता केवल


एकबार तुम जरूर मिलना

सह लेंगे सारी परेशानियां जिंदगी भर

यद्यपि तुम मुझे छोड़कर

चले भी जाओगे

मैं तुम्हें अपने दिल में रखूँगा

हमेशा के लिए


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance