जोश
जोश




ऐसे न मुझे तुम देखो
मैं तुम्हारा ही अक्स हूँ
निमित्त हूँ तुम्हारी
तुम्हारा ही अक्स हूँ।
खूबसूरत मैं उतनी ही
जितना खूबसूरत तुम्हारी
नज़र का ख्याल है।
मैं उतनी ही सादा हूँ
सादा जितना तुम्हारा मिज़ाज़ है
मैं इश्क़ हूँ तुम्हारी
पहली उस नज़र का,
जिससे तुम उतर आए
दिल में
मेरे भीतर कहीं छोड़ गए
अपनी छाप
वही दर्द हूँ।
मैं तुम्हारे बयाँ का
जिसको तुम्हें
स्वयँ में ही कहीं
छुपा सा लिया है।
यह कैसा जादू है
तुम्हारे तिलिस्मी हुस्न का
जो मैं अपने आप
से ही बोझिल हूँ।
तुम मेरी वही परछाई हो
जिसमें में निहित हूँ
मेरी रूह को तुम्हारी
रूह ने छू लिया है।
बस मेरे इस
अधूरेपन को
तुम मिलकर के
मुक़्क़म्मल कर दो।
यह नशा जो
तुम्हारी आँखों में है
उसको मेरी
रग रग में भर दो।
महकने दो उस मुरझाए हुए
ख़्वाब को एक बार फिर
जिसने अपनी उदासी को
दरकिनार सा कर दिया है।
मैं शुक्रगुज़ार हुँ तुम्हारी
तमाम इनायतों का
जिन्होंने तुम्हें मुझ सा
घायल किया है।
कोई भूल तुम्हें
आहत न कर दे
मेरी इसीलिये ख़ामोश हूँ
तुम मेरे हौसलों का जोश हो
मैं तुम्हारे इरादों का जोश हूँ।