एहसास
एहसास
तन्हाई में
छूते ही खतों को तुम्हारे,
मानो बोलने लगते हैं हर्फ़,
सुनाई देने लगते हैं
वही नग़मे, संगीत...
खो सा जाता हूँ
तुम्हारे पास होने के,
एहसास में मानो
तन्हाई से...
हमेशा की तरह
सराबोर कर देती है,
तुम्हारे पास होने की खुशबू
मेरे जहान को,
खिल उठते हैं
एक साथ अनगिनत गुलाब...
अचानक पास आकर
देखकर मुझे
पढ़ते हुए उन खतों को,
आज भी तुम्हारा
मुस्कुराना और शर्माना
ले जाता है मुझे फिर से
उम्र के उस दौर में...
नहीं भूला सकता
तुम्हारे होने के एहसास को
आज भी जिंदा है
ज़ेहन में मेरे...

