STORYMIRROR

Sudhir Kewaliya

Romance

4  

Sudhir Kewaliya

Romance

एहसास

एहसास

1 min
489

तन्हाई में

छूते ही खतों को तुम्हारे,

मानो बोलने लगते हैं हर्फ़,

सुनाई देने लगते हैं 

वही नग़मे, संगीत...


खो सा जाता हूँ 

तुम्हारे पास होने के, 

एहसास में मानो 

तन्हाई से...

हमेशा की तरह

सराबोर कर देती है, 

तुम्हारे पास होने की खुशबू

मेरे जहान को, 

खिल उठते हैं 

एक साथ अनगिनत गुलाब...


अचानक पास आकर

देखकर मुझे 

पढ़ते हुए उन खतों को,

आज भी तुम्हारा 

मुस्कुराना और शर्माना

ले जाता है मुझे फिर से 

उम्र के उस दौर में...

नहीं भूला सकता

तुम्हारे होने के एहसास को

आज भी जिंदा है

ज़ेहन में मेरे...


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance