तानाबाना
तानाबाना
![](https://cdn.storymirror.com/static/1pximage.jpeg)
![](https://cdn.storymirror.com/static/1pximage.jpeg)
माँ के दुनिया से जाने के बाद
उनके अन्य सामान की ही तरह
अपनी पुरानी जगह रखे हैं
उनकी प्रिय सलाइयां और
कई रंग के धागे।
इनसे बुना करती थी माँ
रिश्तों का तानाबाना
कई रिश्ते
खुद-ब-खुद उधड़ चुके थे
माँ की बढ़ती उम्र के साथ
उनके सामने ही
कई रिश्ते उधड़ गए।
मन नहीं करता है अब हमारा
उनके जाने के बाद
बुनने का उन रिश्तों को फिर से
उन धागों के रंग भी फीके पड़ गए हैं।
अब वे पहचान में भी नहीं आते
न ही इच्छा होती है हमारी
उन्हें पहचानने की
खुद ही वो छूट गए हैं पीछे बहुत
ज़िंदगी और संबंधों की दौड़ में।
सलाइयां और धागे भी
सीख गए हैं रहना ' सुधीर ' तन्हा
शायद हमेशा के लिए।