अस्तित्व
अस्तित्व
नहीं बनना चाहती वह
नदी की तरह
नहीं चाहिए उसे कोई उपमा
अपनी सुन्दरता के लिए
नदी की तरह
बनाना जानती है वह
रास्ते अपने भविष्य के लिए
नदी की तरह
लेकिन
खोना नहीं चाहती
अस्तित्व अपना
समाकर किसी समन्दर में
नदी की तरह
स्वतंत्र अस्तित्व वाली
औरत है वह..।
