याद शहर
याद शहर


लगता है तुम्हे मेरे याद शहर से
लगाव सा हो गया है
तो बस रह जाओ ना इधर
लेकर एक छोटा सा आशियाना
जिसे मैं दिल कहता हूं ।
एक खिड़की है मेरे इस दिल में ,
जहां से खुशियों की रोशनी
चुपके से गालों को छू देती है।
एक गलियारा है जहां मेरे
यादों के खूबसूरत बगिया है ।
एक छत है जहां बारिश की
पहली बूंदें जब ज़मीन को छूती है
तो मेरे होने का एहसास करा देती हैं ।
सामने देखोगी तो एक रास्ता है जो
सीधे मेरे उन लम्हों के पुल पर ले जाता है
जहां में सबको आने नहीं देता ।
घर में एक कमरा है
जिसमें बहुत सारी तस्वीरें हैं
जरा ध्यान से देखना ,
उन तस्वीरों में तुम सिर्फ खुद को पाओगी ।
अरे हां मैंने बताया ही नहीं की एक झूला है
वहां जाकर जरूर वक़्त गुजारना
मेरी सांसें धीमी हवाओं की तरह
तुम्हारे बालों को सहला जाएंगी ।
मेरे इस शहर में तुम मुझे पहचान जाओगी ,
सब नहीं रह पाते इस शहर में।
तुम अलग हो,
पहली बार मैंने इस शहर को
किसी और के लिए सजाया है
पहली बार अकेला नहीं हूं मैं इधर ।
और ना तुम रहोगी ।
बस , सुबह अपने सामने वाली
खिड़की खोलना
मेरे जज्बात जो तुम्हारे लिए हैं
सुबह की पहली किरण बनकर
तुमसे मिलने पहुंच ही जाएगी।