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Sheshjee Divyaindu

Romance

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Sheshjee Divyaindu

Romance

तुम पर क्या संगीत लिखूँ

तुम पर क्या संगीत लिखूँ

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गद्य लिखूँ या गीत लिखूँ

हार लिखूँ या जीत लिखूँ

लिखा सभी ने कुछ न कुछ

मैं तुम पर क्या संगीत लिखूँ।


सारे स्वर तुम तुमसे व्यंजन

अक्षर अक्षर का आलिंगन

तुम्ही भाव - रस - छंद सभी

तुम ही भाषाओं का संगम।


किन शब्दों का चयन करूँ

कैसे तुमको मनमीत लिखूँ

मैं तुम पर क्या संगीत लिखूँ !


अल्पप्राण या महाप्राण

अंतस्थ तुम्हीं हो तुम्हीं ऊष्म

अनुस्वार तुम्हीं तुम अनुनासिक

हो तुम्हीं बृहद हो तुम्हीं सूक्ष्म।


मात्रा, विसर्ग सब संधि तुम्हीं

हो तुम्ही विश्व के अलंकार

रचकर संवाद सभी जग के

करते ध्वनियों को निराकार।


तो साकार करो उन शब्दों को

जिससे मानवता जाग्रत हो

हो ईश्वर तो कुछ कृपा करो

यदि ईश्वर बनने की चाहत हो।


सुर, लय, ताल तुम्हीं तो हो

क्या गद्य लिखूं क्या गीत लिखूँ

लिखा सभी ने कुछ न कुछ

मैं तुम पर क्या संगीत लिखूँ !


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