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Sheshjee Divyaindu

Tragedy

3  

Sheshjee Divyaindu

Tragedy

सौ बरस

सौ बरस

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एक पल को अपनी बाहों में समेटे प्यार सारा,

सौ बरस मैं जी गया उस एक पल में बन तुम्हारा।


तुम विदा हुए मुझसे दूर तक उदासी थी

आंख थी भरी हुई रूह फिर भी प्यासी थी।


मैं न देख पाया तुम्हे तुमने ही निहारा था

तब भी तुम ही जीती थी और मैं ही हारा था।


उस पल ये ठान लिया तुम बिना ही जीना है

आंसुओं का क्या करना उम्र भर ही पीना है।


उन पलों का क्या करूं जिनमें जिया मैं प्यार सारा

सौ बरस मैं जी गया उन पलों में बन तुम्हारा।


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