Revolutionize India's governance. Click now to secure 'Factory Resets of Governance Rules'—A business plan for a healthy and robust democracy, with a potential to reduce taxes.
Revolutionize India's governance. Click now to secure 'Factory Resets of Governance Rules'—A business plan for a healthy and robust democracy, with a potential to reduce taxes.

लिखूँगी खत तुम्हें

लिखूँगी खत तुम्हें

1 min
344


मैं, लिखूँगी खत तुम्हें,

स्याही से नहीं, हाँ पर,

लिखूँगी अपनी वीरान रातों की

तन्हाई भरे लम्हों की कालिमा से,

अनन्त आकाश में अकेले उगते हुए

सूरज की लालिमा से।


लिखूँगी मेरे दिल के लहू से,

जो टूट कर बिखरा

है काँच के टुकड़ों की तरह,

उस रिमझिम बरसते सावन से,

जिसने लेश-मात्र भी भिगोई नहीं

मेरे मन की सतह।


लिखूँगी उन भावों से

जो तेरी यादों को सदा

ही मुझमें बसा कर रखते हैं,

उन घावों से जो मुझमें

तुम्हारे दर्द को 

फूलों सा सजा कर रखते हैं।


लिखूँगी उन रंगों से,

जिन्होंनें तुम्हारी जुदाई से

मेरे जीवन को रंगहीन बना ड़ाला है,

उन अश्रुओं से जिन्होंनें मेरे हँसी को

गमगीन बना डाला है।


लिखूँगी ऐसे के निःशब्द पड़े

कागज पर दूँगी  मैं ऐसे शब्द उतार,

कि,खत पढ़ कर तुम शायद,

लौट आओ इस बार।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance